72 °f
Udaipur
72 ° Tue
72 ° Wed
76 ° Thu
76 ° Fri
Monday, February 6, 2023

समाचार फ्लैश

  • AIR BOOKING
  • Ajmer Vidyut Vitran Nigam
  • Ambulance Service in udaipur
  • Animal Husbandry
  • Army
  • Ayurved Department
  • BDO
  • Broadcast Live
  • BSNL
  • Business Directory
  • Central Govt. Departments
  • Central Jail
  • Channels
  • Circuit House
  • College
  • College Education
  • Commercial Taxes
  • Construction Zone
    • Architect
    • Carpenter
    • Home Decoration
    • Marbles
    • Painter
    • Plumber
    • Sanitry Store
    • Wood Zone
  • Cooperative Department
  • Courier
  • Dairy
  • Dak Bungalow
  • Devsthan
  • Dharamshala in Udaipur
  • DIC
  • Digital Calendar
  • Education Department
  • Employment
  • Event Of The Week
  • Excise
  • FCI
  • Fisheries
  • Forest
  • Government Hospital
  • Government Press
  • GPF
  • Ground Water Department
  • Hospital In Udaipur
  • Image Gallery
  • Kids Zone
  • Privacy Policy
  • Public Survey by Welcome 2 Udaipur
  • School
  • Terms & Conditions
  • Udaipur Directory
    • Association
    • BANK
    • Education Zone
      • School
      • University and Colleges
    • Government Office
      • Divisional Commissioner
      • Electricity Department Udaipur
      • Udaipur Collector – (Designation, Officer Name , Phone Number)
      • Zila Parishad
    • HZL
    • Sports
    • उदयपुर पुलिस
    • चिकित्सा क्षेत्र
      • Medical Store
    • समाचार पत्र
  • udaipur sections
  • Udaipur Talent
  • Udaipur Talent
  • W2U के बारे में
  • welcome
  • अस्वीकरण
  • आने वाले कार्यक्रम
  • आपातकालीन कॉल
  • उदयपुर पार्षद
  • करियर और मार्गदर्शन
  • कुछ नया देखना चाहते है
  • कृषि मृदा। संरक्षण विभाग
  • कोरोना हेल्पलाइन
  • खाइये अपने बजट में
  • खाना
    • Restaurant food in udaipur
      • Multi Cuisine
      • Thali
      • Vegetarian Restaurant
    • Street Food in Udaipur
  • गांव में रहना पसंद करेंगे या जंगल में बिताएंगे रात
  • घूमिये अपने बजट में
  • ठहरिये अपने बजट में
  • डेस्टिनेशन वेडिंग
    • Destination Wedding Venue in Udaipur
    • Event Planner
    • Wedding Services
      • Mehendi
      • Wedding Bands
      • घोड़ी वाले
  • नल टपक रहा है या बिजली का स्विच है खराब
  • नौकरियां
  • पर्यटक हेल्पलाइन
  • पर्यटन स्थल
  • रथयात्रा लाइव
  • शादी अपने बजट में
  • संपर्क करें
  • हमारे साथ विज्ञापन करें
  • होटल
    • Home Stay
    • Hotel in Udaipur
[gtranslate]
Welcome 2 udaipur

उदयपुर अलर्ट

कोरोना: विवाह अनुमति व अन्य वक्त जरूरत काम आने वाले उदयपुर प्रशासन के ईमेल एड्रेस यहां देख सकते हैं…
उदयपुर में विभिन्न आयोजनों की अनुमति के लिए ऐसे करें ऑनलाइन आवेदन
कॅरियर एंड जाॅब
आपातकालीन कॉल
पर्यटक हेल्पलाइन
Welcome 2 udaipur
No Result
View All Result
Welcome 2 udaipur
[gtranslate]
No Result
View All Result

Home » लेख » मकर संक्रांति: सांस्कृतिक उल्लास और आस्था का पर्व

मकर संक्रांति: सांस्कृतिक उल्लास और आस्था का पर्व

January 13, 2021
in नवीनतम न्यूज़, लेख
0

मकर संक्रांति (14 जनवरी) पर विशेष

योगेश कुमार गोयल

प्रतिवर्ष 14 को मनाया जाने वाला पर्व ‘मकर संक्रांति’ वैसे तो समस्त भारतवर्ष में सूर्य की पूजा के रूप में ही मनाया जाता है किन्तु विभिन्न राज्यों में इस पर्व को मनाए जाने के तौर-तरीके व परम्पराएं विभिन्नता लिए हुए हैं। कहा जाता है कि इसी दिन से दिन लंबे होने लगते हैं, जिससे खेतों में बोए बीजों को अधिक रोशनी, ऊष्मा व ऊर्जा मिलती है, जिसका परिणाम अच्छी फसल के रूप में सामने आता है, इसलिए यह किसानों के उल्लास का पर्व भी माना गया है। मकर संक्रांति को ‘पतंग पर्व’ के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन लोग देशभर में पतंग उड़ाकर मनोरंजन करते हैं। जगह-जगह पतंग प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इस दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व माना गया है और गरीबों को तिल, गुड़, खिचड़ी इत्यादि दान करने की परम्परा है।

देशभर में मकर संक्रांति के विभिन्न रूप

हरियाणा में मकर संक्रांति पर्व ‘सकरात’ के नाम से बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बड़े बुजुर्ग रूठने का नाटक करके घर से निकलकर आस-पड़ोस में किसी के यहां जा बैठते हैं, जिसके बाद परिवार की महिलाएं पड़ोस की महिलाओं के साथ पारम्परिक हरियाणवी गीत गाते हुए उन्हें ढूंढ़ने निकलती हैं और रूठे बुजुर्गों को वस्त्र, मिठाइयां इत्यादि शगुन के तौर पर देकर उन्हें मनाने का नाटक कर उनका मान-सम्मान करती हैं। इस अवसर पर जगह-जगह मेले भी लगते हैं। हरियाणा में खासतौर से पंजाबी समुदाय के लोगों द्वारा और विशेष रूप से पंजाब व हिमाचल में यह पर्व लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। लोहड़ी के अवसर पर बच्चे दिनभर घर-घर घूमकर लकड़ियां और रेवड़ी, मूंगफली इत्यादि मांगकर इकट्ठा करते हैं। रात को सामूहिक रूप से लकड़ियां जलाकर लोग मूंगफली, रेवड़ी, तिल, गुड़, चावल व मक्का के भुने हुए दानों की, जिन्हें ‘तिलचौली’ कहा जाता है, अग्नि में आहुति देकर अग्नि के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते हैं। उसके बाद मूंगफली, रेवड़ी इत्यादि प्रसाद के रूप में आपस में बांटकर खाते हैं। अग्नि के इर्द-गिर्द रातभर भंगड़ा, गिद्धा इत्यादि पंजाबी नाच-गाने के कार्यक्रम चलते हैं और लोग खुशी मनाते हैं। हिमाचल में लोग प्रातः स्नान करके सूर्य को अर्ध्य देकर सूर्य की पूजा भी करते हैं और उसके बाद तिल व खिचड़ी का दान करते हैं। इस दिन लोग प्रायः खिचड़ी व तिलों से बनी वस्तुओं का ही भोजन ग्रहण करते हैं।

उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को ‘खिचड़ी’ के नाम से जाना जाता है। लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और कुछ लोग गंगा अथवा यमुना में भी स्नान करते हैं। स्नान के बाद तिल व तिलों से बनी वस्तुओं व खिचड़ी का दान करते हैं। लखनऊ, इलाहाबाद इत्यादि अनेक स्थानों पर इस अवसर पर दिनभर पतंगबाजी भी की जाती है।

पश्चिम बंगाल में यह पर्व गंगासागर मेला के रूप में विख्यात है। यहां यह पर्व ‘वंदमाता’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन गंगासागर में स्नान करना अत्यंत फलदायी एवं पुण्यदायी माना गया है, अतः न केवल प्रदेशभर से बल्कि दूसरे प्रदेशों से भी हजारों लोग इस दिन गंगासागर में पवित्र स्नान करने आते हैं। गंगासागर में स्नान कर लोग पूजा-अर्चना करते हैं और सूर्य को अर्ध्य देने के बाद तिल व खिचड़ी का दान करते हैं। गंगासागर में इस दिन बहुत विशाल मेला लगता है। गंगासागर के स्नान का इतना महत्व है कि धार्मिक प्रवृत्ति के कुछ व्यक्ति तो माह भर पहले ही गंगासागर पहुंचकर यहां झोंपड़ियां बनाकर रहने लगते हैं। वर्षभर में एक यही अवसर होता है, जब गंगासागर में देश के कोने-कोने से तीर्थयात्री पवित्र स्नान के लिए गंगासागर पहुंचते हैं। कहा जाता है कि प्रकृति ने व्यवस्था ही कुछ ऐसी की है कि गंगासागर में वर्षभर में सिर्फ एक बार इसी अवसर पर ही जाया जा सकता है, तभी तो कहा भी गया है, सारे तीर्थ बार-बार, गंगासागर एक बार।

असम में यह पर्व ‘माघ बिहू’ के नाम से मनाया जाता है, जिसका स्वरूप काफी हद तक पंजाब में मनाई जाने वाली लोहड़ी और ‘होलिका दहन’ उत्सव से मिलता है। इस दिन घास-फूस तथा बांस के बनाए जाने वाले ‘मेजि’ को आग लगाने के बाद अग्नि में चावलों की आहूति दी जाती है और पूजा-अर्चना की जाती है। आग ठंडी होने के बाद ‘मेजि’ की राख को इस विश्वास के साथ खेतों में डाला जाता है कि ऐसा करने से खेतों में अच्छी फसल होगी।

राजस्थान के कुछ इलाकों में महिलाएं इस दिन तेरह घेवरों की पूजा करके ये घेवर अपनी रिश्तेदार अथवा जान-पहचान वाली सुहागिन महिलाओं को बांट देती हैं। प्रदेश भर में मकर संक्रांति का त्यौहार पंतगोत्सव के रूप में तो दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। जगह-जगह पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं और दिनभर रंग-बिरंगी पतंगों से ढंका समूचा आकाश बड़ा ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।

मध्य प्रदेश में इस दिन तिल के लड्डू व खिचड़ी बांटने की परम्परा है। कई स्थानों पर इस अवसर पर लोग पतंगबाजी का मजा भी लेते हैं। प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में सिंदूर, बिन्दी, चूड़ी इत्यादि सुहाग के सामान की 13 वस्तुएं कटोरी में रखकर आस-पड़ोस की या रिश्तेदार सुहागिन महिलाओं में बांटने की प्रथा भी है।

महाराष्ट्र में यह पर्व सुहागिन महिलाओं के ‘मिलन पर्व’ के रूप में जाना जाता है। रंग-बिरंगी साडि़यों से सुसज्जित होकर महिलाएं कुमकुम व हल्दी लेकर एक-दूसरे के यहां जाकर उन्हें निमंत्रित करती हैं। महिलाएं परस्पर कुमकुम, हल्दी, रोली, गुड़ व तिल बांटती हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को तिल व गुड़ भेंट करते हुए कहते हैं, ‘‘तिल गुड़ ध्या आणि गोड गोड बोला’’ अर्थात् तिल-गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलो। माना जाता है कि ऐसा करने से आपस के रिश्तों में मधुरता आती है। मकर संक्रांति के दिन महिलाएं अपने-अपने घरों में रंगोली भी सजाती हैं। नई बहुएं अपने विवाह की पहली मकर संक्रांति पर कुछ सुहागिनों को सुहाग की वस्तुएं व उपहार देती हैं। प्रदेश में इस दिन ‘ताल-गूल’ नामक हलवा बांटने की भी प्रथा है।

गुजरात में भी एक-दूसरे को गुड़ व तिल भेंट कर लोग तिल-गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलो कहकर आपसी संबंधों को मधुर बनाने की पहल करते हैं। यहां गरीब से गरीब परिवार में भी इस दिन रंगोली चित्रित करने की परम्परा है। मकर संक्रांति के दिन लोग उबटन लगाकर विशेष स्नान करते हैं।

दक्षिण भारत में मकर संक्रांति का पर्व ‘पोंगल’ के नाम से मनाया जाता है, जो दक्षिण भारत का ‘महापर्व’ माना गया है। इसे दक्षिण भारत की दीवाली भी कहा जाता है। यह पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है। पहला दिन ‘भोगी पोंगल’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग अपने घर का कूड़ा-कचरा बाहर निकालकर लकड़ी व उपलों के साथ जलाते हैं और लड़कियां जलती हुई आग के इर्द-गिर्द नृत्य करती हैं। यह दिन देवराज इन्द्र को समर्पित होता है। दूसरे दिन महिलाएं प्रातः स्नान करने के बाद दाल, चावल व गुड़ से ‘पोंगल’ नामक एक विशेष प्रकार की खिचड़ी बनाती है। दक्षिण भारत में सूर्य को फसलों का देवता माना गया है। दूसरे दिन सूर्य की उपासना के बाद सूर्य भगवान को भोग लगाने के पश्चात् लोग ‘पोंगल’ मिष्ठान को एक-दूसरे को प्रसाद के रूप में बांटते हैं। तीसरे दिन पशुधन की पूजा होती है। किसान अपने पशुओं को सजाकर जुलूस निकालते हैं। चेन्नई में कंडास्वामी मंदिर से रथयात्रा निकाली जाती है। पोंगल के अवसर पर दक्षिण भारत में मंदिरों में प्रतिमाओं का विशेष रूप से श्रृंगार किया जाता है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

ShareTweetSendShareSend

Get real time update about this post categories directly on your device, subscribe now.

Unsubscribe

Related Posts

Image Gallery
आने वाले कार्यक्रम

उदयपुर के महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर रूद्राभिषेक सहित कई होंगे अनुष्ठान

February 5, 2023
लो आ गया फाल्गुन, उदयपुर सिटी पैलेस में हुआ होलिका रोपण
उदयपुर न्यूज़

लो आ गया फाल्गुन, उदयपुर सिटी पैलेस में हुआ होलिका रोपण

February 5, 2023
उदयपुर के ऋषिराज राठौड़ ने जीते तीन गोल्ड
उदयपुर न्यूज़

उदयपुर के ऋषिराज राठौड़ ने जीते तीन गोल्ड

February 5, 2023
वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा योजना : उदयपुर से कामाख्या की तीर्थयात्रा के लिए ट्रेन रवाना
उदयपुर न्यूज़

वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा योजना : उदयपुर से कामाख्या की तीर्थयात्रा के लिए ट्रेन रवाना

February 5, 2023
खेलो इंडिया में उदयपुर की प्रतिभाओं ने किया क्वालीफाई
Udaipur Talent

खेलो इंडिया में उदयपुर की प्रतिभाओं ने किया क्वालीफाई

February 5, 2023
डेरा सच्चा सौदा अनुयायियों ने की उदयपुर के प्रमुख स्थानों पर सफाई
उदयपुर न्यूज़

डेरा सच्चा सौदा अनुयायियों ने की उदयपुर के प्रमुख स्थानों पर सफाई

February 4, 2023

उदयपुर में आपका स्वागत है

  • ठहरिये अपने बजट में
  • खाइये अपने बजट में

‘वेलकम 2 उदयपुर’

‘वेलकम 2 उदयपुर’ जी हां, जब भी कोई मेहमान हमारे शहर में आता है तो हम एकदम शॉर्ट टर्म में यही कहकर उसका स्वागत करते हैं। इन शब्दों में न केवल स्वागत की भावना जुड़ी है, बल्कि ये शब्द हमारी मेहमाननवाजी के प्रति समर्पण को भी दर्शाता है।मेवाड़ की मेहमाननवाजी विश्व प्रसिद्ध है। मेहमान की हर चीज, यहां तक कि उसकी हर भावना की चिंता मेवाड़वासी करते हैं, ‘वेलकम 2 उदयपुर’ जी हां, जब भी कोई मेहमान हमारे शहर में आता है तो हम एकदम शॉर्ट टर्म में यही कहकर उसका स्वागत करते हैं। इन शब्दों में न केवल स्वागत की भावना

Usefull Links

Dining Chairs
Counter & Bar Stools
Occasional Chairs
Daybeds & Chaises

Support Link

Benches & Ottomans
Dining Tables
Coffee & Cocktail Tables
Consoles & Desks

accessories

Cabinets & Bookcases
Screens
Outdoor Furniture
Floor Samples

Contact link

Side Tables
Beside Tables
Sideboards & Drawers
Lounge Chairs

Udaipur Top Places To Explore

1234567891
user@gmail.com
Univercity Road New RTO Office , Udaipur , 313202

© Copyright 2023 welcome2udaipur Designed by Tarangsoft Solutions LLP

Home

W2U के बारे में

पर्यटन स्थल

उदयपुर गैलरी

ऑनलाइन निर्देशिका

होटल