बेगूसराय, 13 जनवरी। इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को ही मनाया जाएगा। लेकिन, पुण्य काल सुबह के बदले दोपहर में है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में देर से प्रवेश करने के कारण ऐसा हो रहा है। पंडित आशुतोष झा ने बताया कि आमतौर पर 13 जनवरी की रात से 14 जनवरी के सुबह तक सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते थे। जिसके कारण मकर संक्रांति का पुण्य काल 14 जनवरी को सुबह में होता है। लेकिन इस वर्ष सूर्य 14 जनवरी को दोपहर 2:05 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
शास्त्रों के मुताबिक राशि प्रवेश के चार दंड (96 मिनट) पहले से लेकर चार दंड (96 मिनट) बाद तक पुण्य काल रहता है। जिसके कारण दोपहर में 12:30 बजे से लेकर 3:40 बजे तक मकर संक्रांति का पुण्य काल एवं सर्वार्थ सिद्ध योग है। वर्ष में 12 संक्रांति होते हैं, लेकिन सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो वह सबसे खास संक्रांति होता है। मकर संक्रांति का सभी 12 राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। लेकिन अधिकतर राशियों के लिए शुभ एवं फलदायी है। सूर्य का मकर राशि में विचरण करना बहुत ही शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन तिल, गुड़, मूंग दाल एवं खिचड़ी का सेवन अति शुभकारी होता है।
इस वर्ष 14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य के साथ गुरु, शनि, बुध और चंद्रमा भी रहेंगे। मकर संक्रांति इन पांच ग्रहों के योग से भी विशेष हो जाएगा तथा स्नान, दान और पूजा से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि आएगी। इस दिन सभी को स्नान कर तिल एवं गुड़ से संबंधित वस्तु खानी चाहिए। गंगा में स्नान से पुण्य हजार गुणा बढ़ जाता है तथा किया गया दान महादान और अक्षय होता है। इसलिए साधु, भिखारी या बुजुर्ग योग्य पात्र को दरवाजा से खाली हाथ नहीं लौटना चाहिए। घर में लहसुन, प्याज, मांसाहारी भोजन तथा नशीले पदार्थ का भी उपयोग नहीं करना चाहिए।
मकर संक्रांति के साथ ही सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण हो जाएंगे तथा खरमास समाप्ति हो जायेगा। शास्त्रों में उत्तरायण अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं का रात माना जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्ममुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है। इस काल में देव प्रतिष्ठा, गृह-निर्माण, यज्ञ-कर्म आदि पुनीत कर्म किए जाते हैं। हालांकि, खरमास दोष तथा गुरु एवं शुक्र के अस्त रहने के कारण मार्च तक विवाह संस्कार का शुभ मुहूर्त नहीं है।
उन्होंने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन कुंभ इस वर्ष 14 जनवरी से हरिद्वार में हो रहा है। मकर संक्रांति के दिन कुंभ स्नान का विशेष महत्व होता है, इस दिन गंगा में स्नान करने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुंभ मेले में छह प्रमुख स्नान हैं, जिसमें पहला स्नान मकर संक्रांति के दिन होगा। जहां कुंभ लगता है वहां स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन जो लोग हरिद्वार नहीं जा सकते, वह स्थानीय गंगा घाटों पर भी स्नान कर पुण्य के भागी बन सकते हैं।
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