पशुपालक व व्यापारी मायूस, मेला क्षेत्र सुनसान
संतोष
अजमेर, 21 नवम्बर। ऊंटों की भारी तादात के कारण पुष्कर पशु मेले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास पहचान कायम की है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों व शहर-गांव से पुष्कर के रेत के धोरों में आने वाले ऊंटों के झुंड देशी-विदेशी मेहमानों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गए। इन्हें देखने के लिये प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में देशी-विदेशी मेहमान आते है। देश-विदेश के बड़े-बड़े प्रौफेशनल फोटोग्रााफर भी ऊंटों व ऊंट पालकों की अटखेलियों को कवर करने के लिये आते हैं। मगर इस बार मेला रद्द होने के कारण 15 दिन तक आबाद रहने वाले रेतीलें धोरों में सन्नाटा पसरा हुआ है। विश्व व्यापी कोरोना महामारी की वजह से पुष्कर का सालाना पशु मेला निरस्त कर दिया गया है। इसके चलते प्रशासन ने मेले में हर साल आने वाले पशुओं व पशुपालकों के पुष्कर में प्रवेश पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं जानकारी के अभाव में दूर-दराज से पहुंच रहे पशुपालकों को प्रशासन समझाइश कर वापस रवाना कर रहे हैं। वापस घरों को लौटते ऊंट पालकों की मायूसी देखी नहीं जाती।
करीब 10 हजार से अधिक जानवर बिक्री के लिए आते हैं……
पुष्कर में सालों से पशु मेला भरता आ रहा है तथा मेले के दौरान पुष्कर की मरूभूमि मेंं प्रदेश की सबसे बड़ी पशुओं की मंडी लगती है। इस मंड़ी मेंं ऊंट, घोड़े-घोड़ी, गाय-बैल, भैंस, बकरें-बकरी, गधे समेत विभिन्न प्रजाति के करीब 10 हजार से अधिक जानवर बिक्री के लिए आते हैं। इनमें से सबसे अधिक ऊंट पहुंचते हैं । बीते कुछ सालों से अश्व वंश की आवक में भी उछाल आया है। घोड़े-घोड़ी राजस्थान के अलावा पड़ोसी राज्य पंजाब व हरियाणा से भी आते हैं। वहीं पशुओं को खरीदने के लिए राजस्थान समेत पंजाब, हरियाणा, यूपी, बिहार, गुजरात से बड़ी संख्या में व्यापारी आते हैं। तकरीबन 15 दिनों तक सजने वाली इस मंड़ी में हजारों जानवरों की खरीद-फरोख्त होती है तथा पशुपालकों व व्यापारियों के बीच खुले आसमान के नीचे करोड़ों रूपए का लेनदेन होता है। पशु मेले में पशुओं की खरीद-फरोख्त के साथ-साथ बड़ी संख्या में पशुओं के साज-सज्जा की अस्थायी दुकानें की भी लगती है तथा काफी लोगों को रोजगार मिलता है। पशुपालकों व व्यापारियों को पुष्कर मेले का साल भर से इंतजार रहता है। लेकिन इस बार कोरोना काल के कारण न तो पशुओं की मंडी सज रही है और न ही कोई पशु श्रृंगार सामग्री की दुकानेंं लग रही है। जिससे पशुपालक व व्यापारी काफी मायूस है।
पिछले साल पशु मेले 7176 पशु आए, 1848 बिके और 4.81 करोड़ का हुआ कारोबार…
पुष्कर मेले में बीते साल कुल 7 हजार 176 जानवरों की आवक हुई। इनमें सर्वाधिक 3 हजार 734 अश्व वंश शामिल है। जबकि 3 हजार 298 ऊंट वंश आए। इनमें से 1 हजार 72 अश्व व 775 समेत कुल 1 हजार 848 पशुओं की खरीद-फरोख्त हुई। जिससे पशुपालकों व व्यापारियों के बीच 4 करोड़ 81 लाख 10 हजार 380 का लेनदेन हुआ। सर्वाधिक 3 लाख 30 रूपए में एक घोड़ी बिकी। ऊंट अधिकतम 40 हजार रूपए कीमत में बिका। पंजाब व अन्य राज्यों से पिछले साल कुल 535 जानवर आये। इनमें सर्वाधिक 512 घोड़े-घोड़ी आये। इसके अलावा 22 ऊंट व एक भैंस भी राज्य के बाहर से आई।
बूंदी जिले से आए पशुपालक जगनाथ रायका बताते हैं- हम पुष्कर मेले में प्रतिवर्ष सौ से अधिक ऊंट लेकर आते हैं। इनमें से करीब 50 ऊंट बिक जाते हैं। जिससे हमेंं अच्छी-खासी आमदनी होती है तथा साल भर का खर्चा निकल जाता है। हमें मेले का पूरे साल इंतजार रहता है। लेकिन इस बार मेला रद्द होने के कारण हमें लाखों रूपए का नुकसान होगा।
Get real time update about this post categories directly on your device, subscribe now.