सुनीता कौशल
उदयपुर, 13 जनवरी। स्वामी विवेकानंद जयंती पर उदयपुर के भारतीय लोक कला मण्डल में एक अनूठा आयोजन हुआ। इस अनूठे आयोजन के तहत स्वामी विवेकानंद पर तैयार की गई कठपुतली नाटिका का मंचन किया गया। रविवार देर शाम हुए इस कठपुतली नाटिका मंचन ने दर्शकों को बांध दिया। स्वामी विवेकानन्द की 157वीं जयंती का यह आयोजन दर्शकों के लिए यादगार लम्हा बन गया।
भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने बताया कि स्वामी विवेकानन्द की 157वीं जयंती के अवसर पर राजस्थान की पारंपरिक धागा पुतुल शैली में भारतीय लोक कला मण्डल उदयपुर के कलाकारों ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन एवं उनके द्वारा प्रदत्त मानव समाज कि उन्नति के सन्देशों को आम जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से स्वामी विवेकानन्द कठपुतली नाटिका तैयार की गई है। रविवार शाम उपाध्यक्ष रियाज तहसीन एवं हंगरी एवं रूमानिया से आए आक्रोश एवं जुजा ने स्वामी विवेकानन्द की तस्वीर पर माल्यार्पण कर इस नाटिका का आरंभ किया।
कठपुतली नाटिका स्वामी विवेकान्द को वर्ष 2013 में रामकृष्ण मिशन नई दिल्ली के सौजन्य से निर्माण किया गया है। लगभग छह माह तक शोध एवं उनके जीवन एंव संदेशों पर लिखी गई 30 पुस्तकों के अध्ययन के पश्चात डॉ. लईक हुसैन द्वारा उक्त नाटिक का लेखन किया गया। नाटिका की कहानी नरेन्द्र नामक बालक से प्रारम्भ होती है जिसमें उसके दादाजी उसे स्वामी विवेकानन्द के पे्ररणादायी जीवन प्रसंगों एवं शिक्षाओं को बताते हैं। उक्त पुतली नाटिका का निर्माण सभी आयु वर्ग के लोगों, खास कर बच्चों को ध्यान में रखकर किया गया है जिसके माध्यम से स्वामी विवेकानन्द के जीवन मूल्यों एंव संदेशों को आम जन तक पहुंचाया जा सके।
नाटिका में लगभग 70 पुतलियों और 20 पर्दो का उपयोग किया गया। इस नाटिका के अब तक 300 से अधिक प्रदर्शन राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर के समारोह में हो चुके हैं जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों सहित अमेरिका, कनाडा, मलेशिया, सिंगापुर तथा यू.के. में हुए प्रदर्शन सम्मिलित हैं। इसके साथ ही उक्त कठपुतली नाटिका का मंचन 3 जनवरी 2018 को लोक सभा के बाल योगी सभागार में भी किया गया।