सुनीता/संदीप
उदयपुर, 15 जनवरी (हि.स.)। पहले जहां लॉ कॉलेज या किसी वकील के कार्यालय में न्याय व अन्य समकक्ष विषयों से जुड़ी पुस्तकें होती थीं, वहीं अब दृश्य बदल गया है। अब मोबाइल पर एक क्लिक से किसी भी कोर्ट का न्याय, बहस आदि संबंधित जानकारी उपलब्ध हो जाती है। विधि के विद्यार्थी को भी वर्तमान दौर में अपडेट होना होगा। अब स्टूडेंटस को किताबी ज्ञान के साथ इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कंसेप्ट को भी जोडऩा होगा।
यह बात बुधवार को राजस्थान विद्यापीठ के श्रमजीवी कॉलेज में इलाहाबाद उच्च न्यायालय प्रयागराज के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविंद माथुर ने कही। अवसर था, विधि विभाग भवन लोकार्पण और नवीन भवन शिलान्यास समारोह का। न्यायमूर्ति माथुर ने विधि क्षेत्र की चुनौतियों को लेकर छात्रों को इसके लिए तैयार रहने को कहा।
इससे पूर्व जस्टिस माथुर, हाईकोर्ट जोधपुर के जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्रसिंह भाटी, हाईकोर्ट जयपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर, पूर्णिया विश्वविद्यलय के वीसी प्रो. राजेश सिंह, कुल प्रमुख बीएल गुर्जर व कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत आदि ने नए विधि भवन का लोकार्पण किया तथा उसके बाद नए भवन का भूमि पूजन किया।
व्याख्यानमाला में अध्यक्षता करते हुए जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्रसिंह भाटी ने कहा कि लॉ स्टूडेंटस के लिए टेक्नोलॉजी से जुड़े रहना काफी कारगर रहेगा, क्योंकि यह टेक्नोलॉजी ही उन्हें आगे लेकर जाएगी। वर्तमान में हर व्यक्ति मोबाइल का गुलाम है। जरूरत है उसका बेहतर उपयोग करने की। लॉ कॉलेज के स्टूडेंटस को चाहिए कि वे अपने पसंद के विषयों पर तर्क वितर्क करें व इंटरनेट की इस दुनिया में नया खोजने का प्रयास करें।
कार्यक्रम के बाद विधि, समाज और विधि शिक्षा पर हुए व्याख्यान के शुरुआत में कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि विधि और न्याय के बीच अटूट संबंध है। पूर्णिया विवि के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि वर्तमान में विधि और विज्ञान का तालमेल होना बहुत जरूरी है। उदयपुर के इस विधि कॉलेज में भी ऐसे प्रयास होने चाहिए कि यहां भी दिल्ली जयपुर आदि से वरिष्ठ अधिवक्ताओं को बुलाया जाय तथा उनसे विशेष व्याख्यान करवाए जाएं।
हाईकोर्ट जयपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर ने कहा सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए कानून का उपयोग जरूरी है। कानून सामाजिक व्यवस्था का साधन है इससे समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त किया जा सकता है। विद्यार्थियों को सामाजिक समस्याओं के प्रति सजग व जागरूक रहना होगा तथा उपेक्षित व पिछड़े लोगों को न्याय दिलाने में सहयोग करना होगा।
बार काउसिल ऑफ इंडिया के सदस्य सुरेश श्रीमाली ने कहा कि वर्तमान में कई इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होने की कगार पर है। आश्चर्य होता है कि पूर्व में लॉ कॉलेज एक कमरे में ही संचालित होते थे, लेकिन अब कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर हैं।