फतहसागर के किनारे की पहाड़ी ‘मोती मगरी’ को महाराणा प्रताप स्मारक के स्प में ‘70 के दशक में विकसित किया गया है। मोतीमगरी का बड़ा ऐतिहासिक महत्व है। उदयपुर के संस्थापक महाराणा उदयसिंह नगर बसाने के पहले इसी पहाड़ी पर ‘मोती महल’ बनवाया था। उस महल के भग्नावशेष आज भी विद्यमान हैं।
इसके आसपास ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम दिखाया जाता है। इन्हीं खण्डहरों के पास चेतक पर सवार प्रात: स्मरणीय महाराणा प्रताप की अश्वारूढ़ प्रतिमता स्थापित है। पूरे परिसर में अलग-अलग स्थलों पर महाराणा प्रताप के सहयोगियों सेनापति हकीम खां सूर, दानवीर भामाशाह, भीलूराणा पूंजा, झाला मान की प्रतिमाएं लगी हुई हैं। यहां वीर भवन में मेवाड़ और महाराणा प्रताप के जीवनकाल से संबंधित चित्रों को संजोया गया है।