द एसोसिएशन ऑफ शालाकी (टीएएस) इण्डिया द्वारा हाल ही पुणे में आयुर्वेद शालाक्य तंत्र पर आयोजित पंचम अन्तरराष्ट्रीय एवं 16वीं राष्ट्रीय कांफ्रेंस में डॉ. नरहरि पण्ड्या को ‘अन्तरराष्ट्रीय लीजेण्ड शालाकी अवार्ड’ दिया गया। यह अवार्ड उन्हें केन्द्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद येसौ नायक द्वारा प्रदान किया गया। तीन दिवसीय यह कांफ्रेंस तिलक आयुर्वेदिक महाविद्यालय द्वारा पुणे के नीमा ऑडिटोरियम में आयोजित की गई। इसमें देश-विदेश से ईएनटी, ऑफ्थेमेलॉजी एवं ओरो डेन्टिस्ट्स और शालाक्य विज्ञानियों, विशेषज्ञ चिकित्सकों और आयुर्वेद जगत की जानी-मानी हस्तियों ने हिस्सा लिया।
वयोवृद्ध आयुर्वेद विज्ञानी प्रोफसर डॉ. नरहरि पण्ड्या दशकों से आयुर्वेद जगत की उल्लेखनीय सेवाओं में जुटे हुए हैं और आयुर्वेद विभाग तथा आयुर्वेद से संबंधित महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, संस्थाओं आदि में उन्होंने विभिन्न पदों पर रहकर उल्लेखनीय योगदान दिया है। दीर्घकालीन आयुर्वेद सेवाओं और उत्कृष्ट उपलब्धियों के मद्देनजर उन्हें ढेरों प्रान्तीय, अन्तरप्रान्तीय एवं राष्ट्रीय सम्मानों और अन्तरराष्ट्रीय अवाड्र्स से सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ. नरहरि पण्ड्या को इससे पूर्व जिन प्रतिष्ठित पुरस्कारों व अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है उनमें आयुर्वेद पंचानन, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का वाग्विदांवर सम्मान (मास्टर ऑफ वड्र्स एण्ड स्पीच), राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर सुश्रुत सम्मान-2017, महाराष्ट्र कौंसिल ऑफ इण्डियन मेडिसिन की मास्टर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन सम्मान आदि कई प्रतिष्ठित सम्मान प्रमुख हैं।
उनके शताधिक लेख एवं रिसर्च पेपर देश-विदेश की बहुभाषी जर्नल्स एवं शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ ही राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सराहे गए हैं। उल्लेखनीय है कि अप्रतिम विद्वत्ता तथा आयुर्वेद व योग विषयों पर गहरी पकड़ के कारण उन्हें लंदन के योग एवं आयुर्वेद सोसायटी ने भी आयुर्वेद विषयक व्याख्यानों के लिए आमंत्रित किया है।
प्रो. डॉ. पण्ड्या मूल रूप से गुरुकुल पद्धति से संस्कृत और वैदिक शिक्षा दीक्षा-दीक्षा के लिए देश-दुनिया में मशहूर वागड़ क्षेत्र के खडग़दा गांव निवासी हैं। उनका शोध कार्य इनसाइक्लोपीडिया शालाक्य तंत्रम् पर केन्द्रित है जिसे आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा विज्ञानियों ने समान रूप से स्वीकारा है और इसी पर उन्हें पीएच.डी. आयुर्वेद की उपाधि दी गई। इस विषय पर पीएच.डी. पाने वाले संभवत: वे देश के पहले आयुर्वेद विज्ञानी हैं। उनकी अकादमिक और अनुभवगम्य विलक्षण चिकित्सा विज्ञान विषयक दीर्घकालीन सेवाओं के मद्देनजर यह अन्तरराष्ट्रीय अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया है। डॉ. नरहरि पण्ड्या ने प्राचार्य के पद पर रहते हुए मदनमोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, उदयपुर एवं आयुर्वेद विभाग की प्रतिष्ठा को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठापित कर गौरव बढ़ाया है।