रैंप पर 40 युवक-युवतियों के साथ बच्चों ने किया कैटवॉक
कैटवॉक में दिखी राजस्थानी परिधानों की गाथा
आडावळ में राजस्थानी पोशाकों की गाबा कार्यशाला
वेलकम 2 उदयपुर.
रैंप पर एक के बाद एक राजस्थानी पोशाक धारण किए युवक-युवतियां ही नहीं बालक-बालिकाओं की कैटवॉक का जलवा देखते ही बना। मधुर मुस्कान लिए प्रतिभागियों की एक के बाद एक उपस्थिति ने राजस्थानी संस्कृति को जीवंत कर दिया।
मौका था शुक्रवार को राजस्थान साहित्य महोत्सव आडावळ के तहत राजस्थानी पोशाकों पर आधारित गाबा फैशन-शो का। कोविड को लेकर सरकार के नियमों की पालना करते हुए आयोजित गाबा फैशन-शो में प्रतिभागियों का आत्मविश्वास देखते ही बना। एकाएक जिला प्रशासन की 144 धारा की सूचना के बाद युवक-युवतियों के साथ बालक-बालिकाओं ने अपने हौंसले को जिंदा रखते हुए शुक्रवार को अशोका ग्रीन में कैटवॉक कर राजस्थानी पोशाकों को धारण राजस्थानी संस्कृति से रू-ब-रू कराया।
अल्प अवधि में बीते 20 दिनों की मेहनत उस समय रंग लाई जब आयोजक और प्रतिभागियों ने स्वयं के द्वारा तैयार विविध क्षेत्र की राजस्थानी परिधानों को धारण कर रैंप पर अपनी प्रस्तुति से माहौल को राजस्थानीमय बना दिया।
सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह, मिस इंडिया रितु खोसला की प्रेरणा से प्रतिभागियों ने बारी-बारी से परम्परागत राजस्थानी परिधानों से परिचय कराया। रैंप पर आने वाले प्रतिभागियों ने जयपुर-उदयपुर-बाड़मेर, जोधपुर -जैसलमेर, गंगानगर आदि क्षेत्रों में पहने जाने वाले राजस्थानी पारंपरिक पोशाकों को धारण कर अपना ध्यान आकृष्ट किया। गाबा फैशन- शो में पहने जाने वाले परिधानों में ज्यादातर परिधान सुखाड़िया विश्वविद्यालय के रेडिमेड गारमेंट के छात्र-छात्राओं द्वारा डिजाइन किए गए परम्परागत राजस्थानी परिधान थे। राजस्थानी परिधानों को गाबा कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने न केवल तैयार किया बल्कि राजस्थानी संगीत पर कैटवॉक कर प्रदर्शित किया जिसको मिस इंडिया रितु खोसला ने भी सराहा।
इस मौके पर आडावळ निदेशक डॉ. शिवदान सिंह जोलावास ने बताया कि कोविड केस में बढ़ोतरी के बाद जिला प्रशासन के निर्णय पर गाबा फैशन शो को निर्धारित कार्यक्रम से एक दिन पहले करना पड़ा और प्रतिभागियों ने कम समय में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से कार्यकम को यादगार बना दिया।
गाबा कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. डोली मोगरा ने बताया कि राजस्थान के परम्परागत परिधानों को छात्र-छात्राओं ने जिस बखूबी से प्रदर्शित किया उससे तरह-तरह की पौशाकों से रूबरू होने का मौका मिला। भविष्य में गाबा परिधानों की गाथा को विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ आयोजित किया जाएगा। इसके पीछे विद्यार्थियों को स्वरोजगार से जुड़ने वाली शिक्षा से प्रेरित करना ही नहीं बल्कि संस्कृति से जोड़े रखना भी एक अहम उद्देश्य है। कार्यक्रम में लायंस क्लब के प्रांतपाल संजय भंडारी, लायंस एलीट उदयपुर के अध्यक्ष नीतिन शुक्ला सहित गणमान्य मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र सेन एवं सौम्या कावड़िया ने किया।