उदयपुर। झीलों के शहर उदयपुर से पूरे राजस्थान तक में दीपावली से पर्यटकों की बहार शुरू हो जाती है। इस बार कोरोना के कारण कम ही सही, लेकिन आठ महीने के विराम के बाद पर्यटकों की चहलकदमी दीपावली के साथ शुरू हो गई थी। विशेष रूप से उदयपुर में गुजराती पर्यटकों की आमदरफ्त बढ़ गई थी। चाहे श्रीनाथजी के अन्नकूट के दर्शन करने की ललक हो या लम्बे समय से घर में बैठे रह जाने की कसक मिटानी हो, पर्यटकों ने राजस्थान का रुख कर लिया था। लेकिन, विडम्बना ही रही कि दीपावली से शुरू हुई पर्यटकों की आमदरफ्त छोटी दीपावली यानी देवउठनी एकादशी तक भी नहीं रह पाई।
छोटी दीपावली 25 नवम्बर की थी और उससे पहले 22 नवम्बर से ही राजस्थान के कुछ शहरों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया। इसमें जयपुर, बीकानेर आदि के साथ उदयपुर को भी शामिल किया गया। यह घोषणा होते ही उदयपुर, जयपुर, बीकानेर घूम रहे पर्यटक लौट पड़े। हालांकि, कई अहमदाबादी पर्यटक इसी अवधि के दौरान अहमदाबाद इसलिए नहीं लौट पाए क्योंकि वहां तीन दिन का पूर्ण कोरोना कर्फ्यू लगा दिया गया था। कुल मिलाकर कोरोना के चलते पर्यटकों की आमदरफ्त बड़ी दीपावली से छोटी दीपावली तक भी नहीं टिक पाई और पर्यटन से जुड़े सभी रोजगारों पर फिर कोरोना की मार पड़ गई। आलम यह है कि अब भी कई होटलें और रेस्टोरेंट नहीं खुल पाए हैं, क्योंकि स्टाफ की व्यवस्थाएं करना ही संचालक के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है, ऊपर से आवक है नहीं।
इधर, पूरे राजस्थान का भी यही हाल है। कोरोना महामारी के संक्रमण ने राजस्थान में पर्यटन सेक्टर को जमीन पर ला दिया है। सरकार की बंदिशें हटने के बाद कोरोना काल के प्रभाव से बाहर निकलने के लिए राजस्थान के पड़ोसी राज्यों से पर्यटक घूमने के लिए राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के अन्य पर्यटन स्थलों पर पहुंचने लगे। लेकिन, राजस्थान समेत विभिन्न राज्यों के विभिन्न शहरों में नाइट कफ्र्यू के ऐलान से लॉकडाउन के डर से खौफजदां सैलानियों ने दोबारा अपने घर का रूख कर लिया।
राजस्थान में 2 जून से सभी पर्यटक स्थलों को सैलानियों के लिए खोल दिए गए थे। कोरोना संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए शुरुआती दिनों में बहुत कम संख्या में पर्यटक पर्यटन स्थलों पर पहुंचे। अब धीरे-धीरे स्थिति को देखते हुए पर्यटक दोबारा पर्यटन स्थलों पर भ्रमण के लिए पहुंचने लगे, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर से पर्यटन फिर ठप हो गया है। पर्यटन विभाग के अधिकारियों की मानें तो कोरोना काल ने पर्यटन पर काफी असर डाला है। देश में किसान आंदोलन और शादियों के सीजन के चलते पर्यटन स्थलों पर सैलानियों की संख्या कम होने लगी है। कोरोना की वजह से होटल, हस्तशिल्प समेत पर्यटन से जुड़े व्यवसायों की भी हालत ठीक नहीं हैं। पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों की मानें तो लॉकडाउन के बाद जून में पर्यटक स्थलों को खोल दिया गया था। शुरुआत में पर्यटन काफी कमजोर रहा। कोरोना के डर की वजह से पर्यटक भी आने से डरने लगे, लेकिन धीरे-धीरे पर्यटन पटरी पर लौटने लगा। इसके बाद किसान आंदोलन और शादियों के सीजन के चलते पर्यटन व्यवसाय फिर से ठप हो गया।
अकेले जयपुर के पर्यटक स्थलों पर जून से 24 नवंबर तक आमेर महल में 106725, जंतर मंतर में 40420, हवामहल में 50674, अल्बर्ट हॉल में 24796, नाहरगढ़ फोर्ट में 102748, सिसोदिया रानी बाग में 3998, विद्याधर बाग में 758, ईश्वरलाट में 1518 सैलानी पहुंचे। यानी इस अवधि में कुल 3 लाख 31 हजार 626 सैलानियों ने जयपुर के पर्यटन स्थलों का रूख किया।
देशभर में कोरोना महामारी के चलते पर्यटन ढांचा भी चरमरा गया। 18 मार्च को सभी पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया गया था। इसके साथ ही होटल-रिसोर्ट-रेस्टोरेंट समेत सभी पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया गया था, जिससे पर्यटन उद्योग को अरबों का नुकसान हुआ। लॉकडाउन के बाद 2 जून से पर्यटक स्थल खोले गए। 8 जून से होटल इंडस्ट्री भी शुरू की गई। 30 जून तक पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो पाई, लेकिन धीरे-धीरे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होने से अक्टूबर में राजधानी जयपुर के पर्यटक स्थलों पर 96 हजार 954 सैलानियों ने भ्रमण किया।
अनलॉक के अंतर्गत दोबारा राजस्थान में पर्यटन गुलजार तो हुआ, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर से पर्यटन व्यवसाय की स्थिति खराब हो गई। लॉकडाउन के बाद शुरुआती 2 महीने तो पर्यटक आने से डरते रहे थे, लेकिन कोरोना का डर आमजन के मन से जैसे-जैसे कम हुआ, वैसे-वैसे लोग अपने घरों से बाहर निकलने लगे। सर्दियों के समय पर्यटन सीजन रहता है। ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है कि राजस्थान का पर्यटन दोबारा अपने पैरों पर खड़ा हो सकेगा।
जयपुर में बीते साल के मुकाबले इस साल एक चैथाई सैलानी भी नहीं आ पाए। वर्ष 2019 में जहां सैलानियों का आंकड़ा 4 लाख 77 हजार 917 था, वहीं 2020 में सिर्फ 1 लाख 14 हजार 988 पर्यटक ही पहुंच पाए। आमेर महल अधीक्षक पंकज धीरेंद्र ने बताया कि अनलॉक के बाद पर्यटन में वृद्धि होने लगी थी, लेकिन शादियों के सीजन और किसान आंदोलन के चलते पर्यटन पर अब विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इस समय पर्यटन सीजन चल रहा है, लेकिन पिछले सालों के मुकाबले इस बार पर्यटक बहुत कम आ रहे हैं। जब तक इंटरनेशनल फ्लाइट चालू नहीं होतीए तब तक विदेशी सैलानियों का आना मुश्किल है। हवा महल अधीक्षक सरोजिनी चंचलानी का कहना है कि कोरोना को लेकर सैलानियों के मन में खौफ कम होने से उनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही थी, लेकिन अब दोबारा सैलानी डरने लगे हैं।