वेलकम 2 उदयपुर.
दीपोत्सव के तहत शनिवार को रूप चतुर्दशी व दीपावली एक ही दिन मनाई जाएगी। इससे पहले दीपोत्सव शुक्रवार को धनतेरस के साथ प्रारम्भ हो गया। नवीनता, आरोग्य, शांति-समृद्धि से जुड़े पर्व धनतेरस पर घरों में भगवान धनवंतरि के साथ महालक्ष्मी-कुबेर का पूजन कर समृद्धि व आरोग्य रूपी धन की कामना की गई। धनतरेस पर खरीदारी के लिए लोग बाजारों में नजर आए, हालांकि वैसी भीड़ नहीं थी जैसी हर साल रहती है। कोरोना के कारण मंदी का असर दिखा। हालांकि, एक बात हर आदमी ने कही, धनतेरस पर शगुन होता है, इसलिए शगुन का कुछ न कुछ सभी ने खरीदा। खासतौर से बर्तन, सोना-चांदी और वाहन के शोरूम पर रौनक थी। मिठाई की खरीद भी जोरों पर हुई।
कोरोना के कारण बाजार से दूर हुए खरीदारों को वापस आकर्षित करने के लिए कई लुभावने ऑफर पेश किए गए। कोरोना हालांकि खत्म नहीं हुआ है लेकिन लोगों का डर जैसे खत्म हो चुका है। बाजारों में दो गज दूरी का अभाव दिखाई दिया। दुकानों और बड़े शोरूमों में भी यही हालात बाजारों में हर तरफ ग्राहकों की गाड़ियों का जमघट दिखाई दिया। शहर के सहकारी उपभोक्ता भण्डार में मिठाई खरीद की ऐसी होड़ मची कि कोरोना ‘साइड’ में हो गया।
सुबह से शाम बाजारों में छाई रौनक
सुबह व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में धन्वंतरि पूजन के साथ यक्षराज कुबेर का पूजन किया गया। धनतेरस को देखते हुए आज सुबह से ही शहर के बाजारों में खरीदारों की भीड़ बढनी शुरू हो गई थी। ज्वैलरी, वाहन, इलेक्ट्रीक व इलेक्ट्रोनिक्स आइटम, बर्तन आदि की दुकानों पर भीड़ नजर आई।
कहा जाता है कि चांदी के सिक्के की खरीद के बाद घर में लक्ष्मीजी का प्रवेश होता है। मान्यतानुसार चांदी के सिक्के की खरीद को शुभ कहा गया है। इन सिक्कों पर लक्ष्मी, गणेशजी व सरस्वती माता के चित्र अंकित होते हैं। नवीन वस्तुओं के क्रय के साथ ही शुभ मुहूर्त में जमीन-जायदाद की खरीद, गृह प्रवेश, नव व्यवसाय आदि के कार्य भी हुए। कई लोग मुहूर्त में खरीदारी के लिए इन्तजार करते भी दिखे।
गोधूलि वेला में जगमगाए दीप
गोधूलि वेला होते ही घर-घर मिट्टी के दीपक जगमगा उठे। सजी-धजी गृहिणियों ने घर-द्वार, ड्योढ़ी पर मिट्टी के दीप सजाए। इसके बाद 5, 11, 21 दीयों का मंदिरों में दीपदान भी किया गया। घरों के बाहर, चैक आदि की रोड़ी पर भी दीप प्रज्वलित किए गए। दुकानों पर भी दीप जगमगाए। दीप टिमटिमाते ही दीपावली का इंतजार भी शुरू हो गया।
हालांकि, इस बार पटाखों पर प्रतिबंध है, फिर भी कहीं-कहीं बच्चों ने जुगाड़ कर लिया और अकेले में ही पटाखे छोड़ने का आनंद लिया।
शनिवार दोपहर तक रूप चौदस, शाम को दीपावली
शनिवार दोपहर तक रूप चतुर्दशी पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं दरिद्रता निवारण के लिए सूर्योदय से पूर्व उठ कर घर आंगन की स्वच्छता की परम्परा का निर्वाह करेंगी। रूप चतुर्दशी होने से लोग इस दिन सुबह सौन्दर्य को निखारने के लिए उबटन लगाकर स्नान करेंगे। सूर्योदय से पहले उबटन और तेल लगाकर नहाने से काया निरोगी रहती है। कारण कि इस दिन तेल में लक्ष्मी और जल में गंगा का निवास होता है। इसके बाद शाम को दीपावली मनाई जाएगी।
मुहूर्त : 13 को मनाई जाएगी धन त्रयोदशी, दीपावली 14 को
रविवार को गोवर्धन पूजा व रामाश्यामा
15 नवम्बर को गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, रामा श्यामा और 16 नवम्बर को भैया दूज मनाया जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार इस साल अमावस्या की तिथि 14 नवम्बर को दोपहर 2.18 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 15 नवम्बर की सुबह 10.37 मिनट तक रहेगी। यही वजह है कि माता लक्ष्मी का पूजन शनिवार को ही होगा। इस बार कोरोना के चलते रामाश्यामा में भी सावधानी बरतने की बातें हो रही हैं। मंदिरों में अन्नकूट भी सीमित स्तर पर ही होंगे।