भाजपा बोर्ड की पहली बैठक : अपनी बात पर खरे उतरते नजर आए महापौर टांक
-पक्ष-प्रतिपक्ष में सामंजस्यता के साथ प्रतिपक्ष के सुझावों को भी दी पूरी तवज्जो
-राजनीतिक छींटाकशी पर दी सीख, यहां सभी 70 पार्षद हैं अपने उदयपुर के प्रतिनिधि
उदयपुर, 16 दिसम्बर। लोक सेवा से राजनीति में आए उदयपुर के महापौर गोविन्द सिंह टांक सोमवार को बोर्ड की पहली बैठक में अपने उस बयान पर खरे उतरते नजर आए जो उन्होंने महापौर बनते ही दिया था। टांक ने कहा था कि चाहे किसी भी दल के हों, चुने हुए सभी पार्षद उनकी टीम होंगे और वे शहर के विकास में सभी को साथ लेकर चलेंगे। टांक ने न केवल प्रतिपक्ष की बातों को ध्यान से सुना बल्कि प्रतिपक्ष के कुछ सुझावों को उन्होंने स्वीकार भी किया और सामुदायिक भवनों में मरम्मत और सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाने के प्रतिपक्ष के विशेष ध्यान के आग्रह पर स्पष्ट कहा कि इस पर सिर्फ विशेष ध्यान की बात नहीं, इसे करना ही है। इतना ही नहीं, टांक ने प्रतिपक्ष के एक पार्षद द्वारा सर्वाधिक वोटों से जीत का गुणगान गाने पर दोनों तरफ से हंगामा बढ़ता देख डेमोक्रेसी का गणित समझा दिया। उन्होंने कहा कि डमोके्रसी में जो 51 है वह शत प्रतिशत वाला है और जो 49 पर रह गया, वह शून्य है।
महापौर ने स्पष्ट और सख्त लहजे में कहा कि यहां हम पार्टी, हार, जीत आदि की बातों की बजाय सिर्फ शहर के विकास के मुद्दों पर ध्यान दें। बैठक में कुछ देरी से पहुंचे राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी सभी नए पार्षदों को एक प्रिंसिपल की तरह होमवर्क दिया कि अगली बोर्ड बैठक सिर्फ निगम की आय के स्रोत बढ़ाने के मुद्दों पर रखी जाएगी और उस बैठक में हर पार्षद को अनिवार्य रूप से बोलना होगा। सभी अभी से यह होमवर्क करें कि उसके पास आय के स्रोत बढ़ाने का क्या आइडिया है।
बैठक में प्रस्तावों को पारित कराने की कमान उपमहापौर पारस सिंघवी ने संभाली। कई प्रस्तावों पर प्रतिपक्ष से सहमति जताने के बाद उदयपुर के भण्डारी दर्शक मण्डप में सफाई शुल्क एक हजार से पांच हजार करने के प्रस्ताव पर विपक्ष द्वारा सहयोग न मिलते देख उन्होंने ध्वनिमत से यह प्रस्ताव पारित करवाया। बैठक में उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा भी मौजूद थे। पार्षदों के आग्रह पर महापौर ने निगम के राजस्व विभाग और निर्माण विभाग के कार्मिकों को आगे बुलाकर सभी पार्षदों को परिचय दिलवाया। आपको बता दें कि मौजूदा बोर्ड में चुनकर आए पार्षदों में अधिकतर नए चेहरे हैं जो नगर निगम के स्टाफ से परिचित नहीं हैं। सभी पार्षदों की ओर से स्थानीय निकायों की नियमावली-कानूनी प्रावधानों की पुस्तक की भी जरूरत जाहिर की गई जिसे महापौर ने स्वीकार किया और सभी को पुस्तक उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भी पारित हुआ।