उदयपुर आर्किटेक्चर फेस्टिवल में वास्तुकारों ने किया विभिन्न बिन्दुओं पर मंथन
वेलकम टू उदयपुर.
उदयपुर शहर समृद्ध संस्कृति और सुंदरता के लिए जाना जाता है। चाहे इसकी गलियां हों, इसके बाजार हों, इसकी हवेलियां हों, घर हों या घर का आंगन हो, यहां तक कि चबूतरियां भी इसके स्थापत्य की विशेषताएं हैं। चारों तरफ पहाड़ियों से घिरे शहर को बसाने, जल प्रबंधन के लिए झीलों का निर्माण करने, झीलों को आपस में जोड़ने की तब की सोच तो शोध का विषय है ही, सर्वाधिक महत्वपूर्ण घाटियों पर हवेलियों का निर्माण और उसमें भी बेजोड़ शिल्प की कारीगरी, यह नए वास्तुकारों के लिए अध्ययन का विषय होना ही चाहिए। इस वास्तु सम्मेलन में एक बात यह भी उभर कर आई कि उदयपुर की बसावट में तत्कालीन शासकों व शिल्पकारों ने प्रकृति और पर्यावरण के साथ संतुलन का पूरा ध्यान रखा। यह बात भी प्रमुखता से हुई कि वास्तु शिल्प ऐसा हो जिसमें उस क्षेत्र की संस्कृति का दर्शन भी झलके।
यह बात उदयपुर में चले 16 व 17 दिसम्बर को हुए उदयपुर आर्किटेक्चर फेस्टिवल (यूएएफ) में उभर कर आई। आधुनिक ऑनलाइन तकनीकों का उपयोग करते हुए आयोजित इस वर्चुअल फेस्टिवल में उदयपुर सहित देश-विदेश के कई नामी वास्तुकार जुड़े और उन्होंने प्राचीन शिल्प की तकनीकों, उनकी खूबसूरती और मजबूती पर चर्चा करते हुए नव निर्माणों में भी उस ज्ञान के उपयोग के महत्व पर बात की।
यूएएफ टीम के सदस्य आर्किटेक्ट अमित गौरव ने उदयपुर के शिल्प सौन्दर्य को बेजोड़ बताते हुए कहा कि इस फेस्टिवल के जरिये प्रतिभागियों ने अपने घरों में बैठे बैठे ही उदयपुर के शिल्प सौन्दर्य के दर्शन कर लिए जो बेहतरीन अनुभव रहा। प्रतिभागी पाॅल जैक्सन ने पेपर फोल्ड के अपने कौशल का प्रदर्शन किया और वस्तुओं दो आयामों में प्रदर्शित करने पर जोर दिया। आर्किटेक्ट अन्ना हरिंजर ने निर्माण के साथ प्रकृति का भी ध्यान रखने की जरूरत बताई। मौजूदा संसाधनों के बेहतर उपयोग के साथ प्राकृतिक संसाधनों का ही रूपांतरण करने पर उन्होंने जोर दिया ताकि पर्यावरण भी संरक्षित रहे। आर्किटेक्ट डीन डीक्रूज ने भारत के गोव शहर के प्रति दुनिया के आकर्षण की चर्चा करते हुए कहा कि वहां पारम्परिक वास्तु आकर्षण का केन्द्र है। उन्होंने भारत में वनक्षेत्र में बसे जनजाति समाज के निर्माण सम्बंधी पारम्परिक ज्ञान के अध्ययन और उनके संकलन व आधुनिक ज्ञान के साथ उनके समावेशन पर भी बल दिया। इसके पीछे उन्होंने प्रकृति-पर्यावरण संरक्षण की बात कही। यूएएफ में आर्किटेक्ट कजुमा यमाओ, बिल बेंसले ने भी विचार रखे।
यूएएफ में उदयपुर के आर्किटेक्ट सुनील लढ्ढा ने कहा कि आर्किटेक्ट को मानव स्वभाव को ध्यान में रखकर डिजाइन बनाने पर ध्यान देना चाहिए। डिजाइन ऐसा हो जिसमें स्पेस निकले और वहां रहने वाले या कार्य करने वाले सुकून भी महसूस कर सकें। आर्किटेक्ट के पास ऐसे विचार होने चाहिए जो अफोर्डेबल तो हों, नियत समय में पूरे भी हों।