उदयपुर, 28 मई। शिक्षा किसी भी राष्ट्र की वो मजबूत नींव है जो उस देश की उन्नति की इमारत को खड़ा करती है। शिक्षा के बूते ही कुछ बना जा सकता है। शिक्षा तभी सार्थक है जब उसका उपयोग सीखने के साथ-साथ सिखाने में भी किया जाता है। सच्ची शिक्षा वही है जो राष्ट्र की सार्वभौमिक उन्नति, अनेकता में एकता और विभिन्न आस्थाओं का आदर सिखाए।
यह विचार राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ बी.डी कल्ला ने शनिवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के प्रतापनगर स्थित खेल मैदान पर आयोजित 14वें दीक्षांत समारोह में बतौर प्रमुख अतिथि व्यक्त किए। कल्ला ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सभी को सच्चे धर्म का अर्थ जानना बेहद आवश्यक है और सत्य ही सच्चा धर्म है जो विभिन्नताओं से भरे हमारे इस देश को अनेकता में एकता के सूत्र में बांधता है और उसकी अभिव्यक्ति की आजादी को पोषित करता है। कल्ला ने युवा पीढी से आह्वान किया कि शिक्षा के माध्यम से देश की एकता को बनाए रखने, वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को साकार करने, अच्छे नागरिक बनने और बनाने के प्रयास करने होंगे ताकि हमारा देश अपनी गरिमा और आस्थाओं के आदर को बनाए रख सके। उन्होंने नव दीक्षितों से कहा कि ज्ञान जल से भी पतला है जिसे सुभाषित वाक्यों के माध्यम से समाज को पहुंचाने का कार्य करना ही अपनी शिक्षा पूर्ण करने के वास्तविक उद्देश्यों की पूर्ति होगी।
प्रारंभ में कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस सारंगदेवोत ने वार्षिक प्रतिवेदन के माध्यम से विश्वविद्यालय की गतिविधियों, उपलब्धियों की जानकारी देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय लगातार विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक कार्यक्रमों व गतिविधियों का संचालन कर रहा है। साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शैक्षिक व्यवस्थाओं में परिवर्तन और पाठ्यक्रमों को शामिल करने का कार्य शुरू कर चुका है जिसमें शोध पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
इस बार भी दीक्षांत समारोह में नारी शक्ति का बोलबाला रहा। कुलपति कर्नल प्रो एस.एस सारंगदेवोत ने बताया कि संस्थान की ओर से 80 गोल्ड मैडल प्रदान किए गए जिसमें से 42 गोल्ड मैडल महिलाओं व 38 पुरुष अभ्यर्थियों के नाम रहे। पीएचडी की उपाधियों में भी महिलाओं ने बाजी मारी। कुल 26 महिला व 22 पुरुष दीक्षार्थियों को पीएचडी की उपाधि मिली। उपाधि धारक पुरषों ने सफेद कुर्ता, पाजामा तथा छात्राओं ने सफेद सलवार कुर्ता या साड़ी में डिग्रियां ग्रहण की। वर्ष 2020, 2021 में कुल 2085 स्नातक, 885 स्नातकोत्तर, 456 डिप्लोमा धारको को डिग्री, प्रमाण पत्र दिये ये।
दीक्षांत समारोह में वरिष्ठ पत्रकार एवं फर्स्ट इंडिया न्यूज के प्रबंध निदेशक जगदीश चन्द्र को क्षे़़त्रीय समाचारों को प्रमुखता देने व विश्लेषणत्मक व सृजनात्मक सोच के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए डी-लिट की मानद उपाधि से नवाजा गया। इसके तहत उन्हें शॉल, उपरणा, प्रतीक चिह्न, उपाधि व रजत पत्र देकर सम्मानित किया गया।
फर्स्ट इंडिया न्यूज के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ़ जगदीश चन्द्र ने अपने प्रशासनिक और पत्रकारीय जीवन अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि सफलता हासिल करने के लिए कठोर परिश्रम करना जरूरी है। यह परिश्रम बौद्धिक और मानसिक शक्तियों के उपयोग और याद रखने की दक्षताओं से प्राप्त किया जा सकता है।
समारोह में मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति एपी साही ने कहा कि भारतीय शिक्षा जीवन के दर्शन को सिखाने के साथ-साथ स्वयं को अनुशासित करने और समाज के लिए कर्तव्य पालन को पूर्ण करने के लिए प्रेरित करती है। इसके माध्यम से हम प्रबंधन, समस्याओं के समाधान और उनके सदुपयोग की क्षमताएं हासिल करते हैं। साही ने तकनीकों का संयमित उपयोग करके विवेक के माध्यम से जीवन रूपी इस यात्रा को पूर्ण करने की बात कही।
स्वामीनारायण मंदिर लोया धाम गुजरात के संत डॉ. वल्लभदास स्वामी ने दीक्षार्थियों से आत्मसम्मान को बनाने और स्वयं को सर्वशक्तिमान मानते हुए मूल्यों के साथ जीवन पथ पर बढ़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि शिक्षा देश ही नहीं, विश्व की रीढ़ की हड्डी है जो हमें प्रगति, शांति, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन के गुणों से युक्त बनाती है। उन्होंने मेवाड़ के शौर्य और भक्ति के प्रतीक महाराणा प्रताप और मीरां के माध्यम से जीवन में शौर्य और भक्ति दोनों के संतुलित समावेश से जीवन की सफलता का मंत्र दिया।
कुलाधिपति ने प्रो बलवंतराय जानी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि समय के साथ-साथ राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय नए-नए पाठ्यक्रम व कोर्सेज विद्यार्थियों के उपलब्ध करवा रहा है जिसमें संज्ञानात्मक विज्ञान, मानवाधिकार, कमर्शियल एंड साइबर लॉ से जुडे पाठ्यक्रम आने वाले समय में संस्थान में प्रारंभ करने की घोषणा की।
समारोह को कुल प्रमुख बीएल गुर्जर, कुलसचिव डॉ हेमशंकर दाधीच, समाजसेवी व व्यवसायी भीमसिंह चुण्डावत, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार सतारावाला ने भी विचार व्यक्त किए।