अरावली पर्वतमाला के बीच बसे उदयपुर को ‘छोटा कश्मीर’ इसीलिए नहीं कहा जाता। इसकी हरी-भरी छटा ने पूरी दुनिया का मन मोह रखा है। और उदयपुर भी मेहमानों के स्वागत को हर समय आतुर रहता है। ‘अतिथि देवो भवः’ की भावना के साथ हम यही कहते हैं, ‘पधारो म्हारे देस’।
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