सुनीता कौशल
उदयपुर, 20 जनवरी। आम बजट हो या रेल बजट, हर आदमी की उससे उम्मीदें जुड़ी रहती हैं चाहे वह टैक्स पेयर हो या नहीं। और, उदयपुर के लिए तो पिछले सालों में रेल बजट से भी बड़ी उम्मीदें जुड़ी रहती हैं। इसका कारण है उदयपुर-अहमदाबाद आमान परिवर्तन परियोजना, जिसके पूरे होने का पूरे मेवाड़ ही नहीं बल्कि दक्षिणी राजस्थान को इंतजार है। इसके साथ ही पिछले दो-तीन साल से उदयपुर के लोगों को रेलगाड़ी के माध्यम से जोधपुर भी जुडऩे का इंतजार है। और यह इंतजार बिना किसी परेशानी के दूर हो सकता है, सिर्फ उदयपुर में ‘फ्री टाइम’ में खड़े रहने वाली खाली रेलगाड़ी का उपयोग करने की देर है।
रेलवे सूत्रों की मानें तो उदयपुर से जोधपुर तक साप्ताहिक रेलगाड़ी आसानी से चल सकती है। इसके लिए हमसफर एक्सपे्रस के खाली पड़े रैक (खाली रेलगाड़ी) का उपयोग करना होगा। हमसफर एक्सप्रेस उदयपुर से पाटलीपुत्र के मध्य संचालित होती है जो उदयपुर से बुधवार को 12.45 बजे रवाना होकर गुरुवार को रात 9.15 बजे पाटलीपुत्र पहुंचती है। वहां से गुरुवार मध्यरात्रि बाद 12.10 बजे रवाना होकर रविवार सुबह 8.10 बजे उदयपुर पहुंचती है। इसके बाद यह गाड़ी तीन दिन यहीं पर विश्राम करती है।
इस गाड़ी के विश्राम के समय का उपयोग इसे जोधपुर तक संचालित करने में किया जा सकता है। आपको याद दिला दें कि भूटान नरेश जब भारत आए थे तब जोधपुर से उनकी स्पेशल गाड़ी 8 घंटे में उदयपुर पहुंची थी। ऐसे में हम यदि मोटा-मोटा उदयपुर से जोधपुर के बीच का 10 घंटे का सफर भी मानकर चलें तो रविवार को इस खाली पड़ी हमसफर एक्सप्रेस को जोधपुर भेजकर सोमवार रात को जोधपुर से पुन: उदयपुर के लिए किया जा सकता है। इसका सबसे बड़ा लाभ उन लोगों को होगा जिनकी सोमवार को हाईकोर्ट में पेशियां होती हैं। इसके बाद दूसरा बड़ा लाभ स्टूडेंट्स को होगा जो जोधपुर या उदयपुर पढ़ते हैं और उन्हें घर से इन दोनों शहरों का सफर करना होता है। यदि रेलवे चाहे तो हमसफर एक्सप्रेस में जनरल कोच भी जोड़ सकता है।
शहर के कुछ संगठनों ने इसके लिए उदयपुर व चित्तौडग़ढ़ सांसद से आग्रह भी किया है कि जोधपुर की राह खुलने पर यदि यात्रीभार के मद्देनजर प्रयोग सफल रहता है तो उदयपुर-जोधपुर नियमित रेलगाड़ी चलाने की अनुशंसा की जा सकेगी।