वेदपाल
भिवानी, 13 फरवरी। भिवानी के गांव तिगड़ाना में हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग की ओर से की जा रही खुदाई से कई ऐतिहासिक तथ्य मिल सकते हैं। हड़प्पा की इस खुदाई में चार प्रोफेसर और 25 शोधार्थी छात्रों की टीम लगी है।
प्रो. अमर सिंह ने बताया कि गांव गुजरानी के इस किले की खोज प्रोफेसर सूरजभान ने 1970 में की थी। उसके बाद 2016 में इसका निरीक्षण किया गया और अब 26 जनवरी से इस पर रिसर्च कार्य शुरू किया गया है, जो अप्रैल तक चलेगा। पूरे कार्य की अगुवाई प्रोफेसर नरेंद्र परमार कर रहे हैं। इससे पहले जो निरीक्षण किया गया था, उसमें उन्हें मनके जैसे आभूषण मिले थे। उससे अनुमान है कि यहां कोई बड़ा उद्योग हो सकता है।
प्रोफेसर परमार ने बताया कि इस कार्य के लिए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय के छात्रों को भी ट्रेनिंग दी जा रही है। प्रो. अमर सिंह का कहना है कि पांच हजार साल पहले हड़प्पा के लोग घरेलू कार्यों के लिए मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल करते थे, जबकि कृषि में पत्थर और तांबे की वस्तुओं का इस्तेमाल होता था।
पुरातत्व विभाग के शोधार्थी उन कारणों को भी ढूंढ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के दिनों में तो टीले पर सफेद रंग के मनके और नुकीले पत्थर भी जमीन से बाहर निकलकर दिखाई देने लगते हैं, लेकिन इन चीजों का उन्हें ज्ञान नहीं था कि ये ऐतिहासिक दृष्टि से बेशकीमती चीजें हैं।
उल्लेखनीय है कि भिवानी के खनक, तिगड़ाना मानेहरू और मिताथल में भी शोध कार्य हो चुका है। तिगड़ाना में फिर से खुदाई की जा रही है। भिवानी में सभ्यता के अवशेष मिलना मानव इतिहास की खोज में कारगर साबित होगी।